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स्वास्थ्य रक्षक सखा-Health Care Friend

Tuesday 23 April 2013

प्रार्थना भी भय का विस्तार....! अप्रेल-II, 2013

बुराई : बुराई छोटी-बड़ी नहीं होती। और ध्यान रहे, बुराई एक, दो और तीन भी नहीं होती। एक बुराई काफी है। सब बुराईयां उसके पीछे आ जाती हैं। एक से दरवाजा खुल गया कि पूरी भीड़ आ जाती है।-ओशो

प्रेम : अगर प्रेम में उतर गये, तो प्रेम की समझ तो आ जाऐगी, लेकिन अध्ययन नहीं हो सकेगा। अध्ययन के लिये दूरी चाहिये और तटस्थता चाहिये और फासला चाहिये। प्रेम के लिये दूरी मिटनी चाहिये, सब फासले गिरने चाहिये। तब प्रेम की समझ का तो उदय होगा, लेकिन उस समझ को हम अध्ययन नहीं कह सकते।-ओशो

क्रान्ति : तथ्य क्रान्ति ले आते हैं। सत्य स्वयं क्रान्ति है। जैसे ही सत्य दिखाई पड़ता है, स्वयं ही क्रान्ति हो जाती है।-ओशो

सरलता : तेईस घण्टे तुम बेईमान हो, झूठ बोल रहे हो, चोरी कर रहे हो, धोखा दे रहे हो और एक घण्टे के लिये तुम एकदम सरल हो गये। सरलता कोई खेल है? कि तुमने जब चाहा, तब सम्हाल लिया। यह असम्भव है।-ओशो

अहंकार : सिकुड़ा हुआ आदमी अहंकार से भर जाऐगा, फैला हुआ आदमी मिटता है। तुम जितने फैल जाओगे, अहंकार उतना ही कम हो जाएगा। तुम जितने सिकुड़ जाओगे, अहंकार उतना ही ज्यादा हो जायेगा। अहंकार एक तरह का संकुचन है। ब्रह्म- अनुभव एक तरह का विस्तार है।-ओशो

नींद : ईश्‍वर को जानने चलेंगे तो नींद टूटेगी और नींद में हमारा बड़ा स्वार्थ है, क्योंकि हमने अब तक जन्मों-जन्मों तक नींद को हीं संवारा है, वही हमारी निर्मिति है।-ओशो

जीवन : जीवन को जानने की कुंजी वर्तमान में जीना है। जो उपस्थित है, उसमें समग्र रूपेण चेतना को उपस्थित कर देना है।-ओशा

मौत : जिन्दगी भर हम मौत से अपने को छिपाए रखते हैं। झूठी है यह बात। मौत को जानना और पहचानना है।-ओशो

अहंकारी : सौ में से निन्यानबे-धर्म की खोज में गए लोग अहंकारी होते हैं। इसलिये धार्मिक व्यक्तियों में विनम्रता पानी बहुत कठिन है। धार्मिक आजादी अक्सर अहंकारी होगा, बल्कि भयंकर अहंकारी होगा।-ओशो

सुख-दुख : तर्क सीधा है-आप अपने लिये सुख चाहते हैं, दूसरे के लिये दुख चाहते हैं। अगर दूसरे को दुख देकर भी खुद को सुख मिले, तो आप सुख चाहते हैं। सारी दुनिया को दुख मिले, तो कोई चिन्ता नहीं, आपको सुख मिलना चाहिये। सबको दुख मिले तो भी चलेगा। यही तो असाधु का भाव है।-ओशो

मापदण्ड : हम तोलते हैं आदमी को, क्या है उसके पास, कितनी शिक्षा, कितना पद, कितनी बड़ी कुर्सी, सिंहासन। क्या है तुम्हारे पास, वही तुम हो-यह हमारा मापदण्ड है।-ओशो

मित्र-शत्रु : जब तक राम को कोई शरण की तरह अनुभव न कर ले, तब तक इस जगत में सभी शत्रु हैं, मित्र कोई भी नहीं।-ओशो

भय : आंख बन्द करके कभी देखें तो आप पाएंगे, सिवाय भय के और भीतर कुछ भी नहीं। इस भय के कारण आप भगवान की प्रार्थना भी कर सकते हैं, लेकिन वह प्रार्थना भी भय का विस्तार ही होगा।-ओशो

 सपने : हम सपने में जीते हैं, जहां है वहां नहीं जीते, जहां नहीं हैं, वहां जीते हैं।-ओशो

शब्द-नि:शब्द : धर्म के आयाम में शब्द से अर्थ का उदय नहीं होता। नि:शब्द से अर्थ का उदय होता है। शब्दों को हटाएं, तो नि:शब्द की धारा प्रगट होगी।-ओशो

धर्म : धर्म है जागरण का प्रयास। धर्म है पूरी तरह चेतना को एक्सपेंशन, चेतना को और विस्तार देना।-ओशो

स्त्रोत :  प्रेसपालिका (पाक्षिक) जयपुर, राजस्थान, से साभार!

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