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स्वास्थ्य रक्षक सखा-Health Care Friend

Friday 15 March 2013

हंसती हुई मनुष्यता-ओशो वाणी : मार्च-II, 2013

जो हमारे पास है वह हमें दिखाई नहीं पड़ रहा है। जो हमारे पास नहीं है, उसका हम हिसाब लगाये बैठे हैं। और जो हमारे पास है, वह इतना है कि जो हमारे पास नहीं है, उसका हिसाब लगाना ही नासमझी है, उसका कोई मूल्य ही नहीं है। कठिनाई यह है कि जो मिला हुआ है-वह टेकन फॉर ग्रांटेड हो जाता है। वह है ही, उसकी कोई बात ही नहीं करनी है, हमें। हमारा दावा है कि हमें यह मिलना चाहिये। अगर मेरी आंखें कल चली जायें तो मैं किससे शिकायत करूंगा? और जब तक मेरे पास आंख थी, तब तक मैंने कुछ भी नहीं किया उन आंखों से-न मैंने फूल देखे, न मैंने चांदनी देखी, न मैंने कोई सुंदर चेहरा देखा-मैंने इन आंखों से कुछ भी नहीं किया। लेकिन अब आंखों के लिये रो रहा हूँ।-ओशो

मृत्यु में बड़ी सुरक्षा है: जीवन के पास होना खतरनाक है, क्योंकि जीवन है-असुरक्षा। मृत्यु में बड़ी सुरक्षा है। एक बार मर गये सो मर गये, फिर न कोई बीमारी लगती, फिर न कोई दुबारा मृत्यु हो सकती, न दिवाला निकलता, न चोरी होती, न डाका पड़ता। फिर तो विश्राम करो कब्र में, विश्राम ही विश्राम है।-ओशो

मैं धन विरोधी नहीं हूँ। न धन विरोधी हूँ, न ध्यान विरोधी हूँ। मैं मानता हूँ कि ध्यानी के हाथ में धन हो तो धन भी अभूतपूर्व रूप से उपयोगी हो जाता है और धनी के हाथ में ध्यान लगे, तो ध्यान भी सुगमता से सधता है।-ओशो

दांव : सब कुछ दांव पर लगाना बड़ी हिम्मत की बात है, दस्साहस की बात है। सब कुछ दांव पर लगाने का अर्थ है: पीछे लौटने की सीढी ही तोड़ दी, सेतु ही गिरा दिया। ‘हॉं’ जो कही तो उसमें कहीं भी कोई ‘नहीं’ की गुजाइश न रखी। फिर गर्दन कटे तो कटे, जीवन रहे तो रहे, न रहे तो न रहे।-ओशो

लाभ ही लाभ : पश्‍चिम समर्थ है स्वर्ग बसाने में और पूरब के पास ध्यान का विज्ञान है। दोनों का लेन-देन हो सकता है। इस सौदे में किसी का नुकसान नहीं होगा, दोनों लाभ ही लाभ में रहेंगे।-ओशो

उत्सव : हर घड़ी उत्सव उचित है, क्योंकि जब तुम उत्सव में हो, तभी तुम परमात्मा के निकट हो और जब तुम उत्सव में नहीं हो, तुम परमात्मा के बाहर हो, उत्सव में होना परमात्मा में होना है, उत्सव में न होना परमात्मा से बाहर होना है। तुम्हारी मर्जी! तुम्हें अगर परमात्मा से बाहर-बाहर जीना हो, तो जियो। फिर संताप, विषाद होगा, पीड़ा, चिंता होगी, चुनाव तुम्हारा है। जो ऊर्जा उत्सव बन सकती थी, वही चिंता और विषाद बनेगी।-ओशो

हंसती हुई मनुष्यता : हंसते हुए इंसान से और हंसते हुए क्षणों में पाप करना असंभव है। सारे पापों के पीछे उदासी, दुख, अंधेरा, बोझ, भारीपन, क्रोध, घृणा-ये सब है। अगर हम हंसती हुई मनुष्यता को पैदा कर सकें तो दुनिया के नब्बे प्रतिशत पाप तत्कक्षण गिर जायेंगे। जिन लोगों ने पृथ्वी को उदास किया है, उन लोगों न पृथ्वी को पापों से भर दिया है।-ओशो

ऐसे हंसो कि तुम्हारा पूरा जीवन एक हंसी बन जाये। इस भांति जियो कि पूरा जीवन एक मुस्कुराहट बन जाये। इस भांति जियो कि आसपास के लोगों की जिंदगी में मुस्कुराहट फैल जाये। इस भांति जियो कि सारी जिंदगी एक हंसी के खिलते हुए फूलों की कतार हो जाये।-ओशो

Sunday 10 March 2013

मृत्यु सुविधापूर्ण है-ओशो वाणी : मार्च-I, 2013

दुख हमारा चुनाव है : जिंदगी बहुत मौके दे रही है, हम सब मौके चूक जाते हैं और हर चीज में हमने तरकीबें बना रखी हैं। अगर मुझे एक सुंदर चेहरा दिखाई पड़ा तो उस सुंदर चेहरे से मुझे जो सुख मिल सकता था, वह मैं नहीं लूंगा; उससे दुख ले लूंगा-कि वह किसी और की पत्नी है, किसी और का पति है, वह किसी और का बेटा है। तो मैं चूक गया और वह जिसका बेटा है, जिसकी पत्नी है, जिसका पति है, वह किसी और का चेहरा देख कर दुखी हुआ जा रहा है। वह अलग दुखी हो रहा है, हम अलग दुखी हो रहे हैं। सारी दुनिया दुखी हो रही है। दुख हमारा चुनाव है। तुम दुख चुन रहे हो तो दुख इकट्ठा होता चला जाता है और फिर दब जाओगे उसके नीचे, फिर परेशान हो जाओगे। दुख को चुनो मत। कौन तुमसे कहता है, दुख को चुनो? सुख को चुनो।-ओशो


दुनिया में तमाशबीनी बढती चली गई। इतनी बढ गई है कि अब हर चीज में तमाशबीनी है। तुम प्रेम नहीं करते, जब प्रेम वगैरह का खयाल उठता है, फिल्म देख आये। अरे अब दूसरे पेशेवर प्रेम करने वाले मौजूद है, जो तुमसे अच्छे ढंग से कर सकते हैं, क्या-क्या लहजे से करते हैं, तो तुम काहे को मेहनत करो अलग से! फिल्म ही देख आये, मामला खत्म हो गया।-ओशो

यह जीवन एक-एक क्षण बहुमूल्य है, क्योंकि इस एक-एक क्षण में तुम्हारे जीवन में क्रान्ति घट सकती है, तुम्हारे भीतर बुद्धत्व का अवतरण हो सकता है। तुम्हारे भीतर वही फूल खिल सकते हैं, जो बुद्ध की चेतना में खिले। वही बांसुरी तुमसे बज सकती है, जो कृष्ण के ओठों पर बजी।-ओशो

भय और प्रेम बड़ी विपरीत अवस्थाएँ हैं। भय में आदमी सिकुड़ता है, संकुचित होता है, छोटा होता है। प्रेम में फैलता है, विस्तीर्ण होता है।-ओशो

पिछले जन्मों के कर्मों के फल : लोग भी अजीब हैं, पिछले जन्मों की तो बातें करते हैं कि पिछले जन्मों के कर्मों के फल मिल रहे हैं और इसी जन्म में जो उपद्रव करते रहते हैं, उनका गणित बिठाते नहीं! पिछला जन्म था कि नहीं, यह भी तुम्हें पता नहीं है। मगर यह जन्म तो साफ है। इसी जन्म के हिसाब जरा देखो।-ओशो

जीवन का खजाना अकूत है, उसकी गहराई अथाह है, उसकी गहराई अथाह है। अगर कहीं कोई ईश्‍वर है तो वह जीवन में व्याप्त है, रोएं-रोएं में, कण-कण में, वही प्रतिध्वनित है। बाहर वह, भीतर वह। दशों दिशाओं में वही है।-ओशो

जीवन और मृत्यु : जीवन ही खतरनाक है। मृत्यु सुविधापूर्ण है। मृत्यु से ज्यादा आरामदायक और कुछ भी नहीं है। इसलिये लोग मृत्यु को वरण करते हैं, मृत्यु जीवन का निषेध है। लोग ऐसे जीते हैं, जिसमें कम से कम जीना पड़े, न्यूनतम-क्योंकि जितने कम जियेंगे उतना कम खतरा है, जितने ज्यादा जियेंगे उतना ज्यादा खतरा है। जितनी त्वरा होगी जीवन में उतनी ही आग होगी, उतनी ही तलवार में धार होगी।-ओशो

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