प्रेम तुम्हें रिक्त करता है-ईर्ष्या से रिक्त, पागलपन से रिक्त, क्रोध से रिक्त, प्रतिस्पर्धात्मकता से रिक्त, तुम्हारे अहंकार और उसके सारे कचरे से रिक्त करता है| लेकिन प्रेम तुम्हें कई बातों से भरता है, जिनके बारे में अभी तुम अनजान हो, यह तुम्हें खुश्बू से भरता है, प्रकाश से भरता है, आनन्द से भरता है|-ओशो|
अवसाद से कैसे बचें? अपने अवसाद को जगह मत बनाने दो| जिस क्षण तुम महसूस करो कि कुछ बात अवसाद बन रही है, दमन बन रही है, तत्काल स्वयं को गीत में, नृत्य में, हंसी में अभिव्यकत करो|-ओशो|
भोजन : जब स्त्री तुम्हें प्रेम करती है, तो वह तुम्हारे लिये बहुत सतर्कता से भोजन तैयार करेगी और उस भोजन में आध्यात्मिक गुणवत्ता होगी| वैज्ञानिक तौर पर इसमें फर्क करना सम्भव नहीं है कि भोजन प्रेम से बनाया गया है या बेरुखी से, लेकिन इसमें आध्यात्मिक रूप से भेद है| जो भोजन बेरुखी से बनाया जाता है, वह पचने में लम्बा समय लेता है और जो भोजन क्रोध, नफरत एवं ईर्ष्या से बनाया जाता है, वह पहले से ही जहर हो गया होता है|-ओशो|
क्रोधित-कामुक-गुलाम : जब कभी तुम क्रोधित होते हो, जब कभी तुम कामुक होते हो, तब तुम अपने मालिक नहीं रहे, बल्कि तुम अपने आपके गुलाम हो जाते हो|-ओशो
आत्मीयता : सभी आत्मीयता से डरते हैं| यह बात और है कि इस बारे में तुम सचेत हो या नहीं| आत्मीयता का मतलब होता है कि किसी अजनबी के सामने स्वयं को पूरी तरह से उघाड़ना| हम सभी अजनबी हैं-कोई भी किसी को नहीं जानता| हम स्वयं के प्रति भी अजनबी हैं, क्योंकि हम नहीं जानते कि हम हैं कौन!-ओशो।
स्त्रोत : जयपुर, राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका " के 16.11.12 के अंक से साभार!
आत्मीयता : सभी आत्मीयता से डरते हैं| यह बात और है कि इस बारे में तुम सचेत हो या नहीं| आत्मीयता का मतलब होता है कि किसी अजनबी के सामने स्वयं को पूरी तरह से उघाड़ना| हम सभी अजनबी हैं-कोई भी किसी को नहीं जानता| हम स्वयं के प्रति भी अजनबी हैं, क्योंकि हम नहीं जानते कि हम हैं कौन!-ओशो।
स्त्रोत : जयपुर, राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका " के 16.11.12 के अंक से साभार!
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