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स्वास्थ्य रक्षक सखा-Health Care Friend

Wednesday 6 February 2013

ओशो विचार-ओशो वाणी : फरवरी, 2013

1. अगर जीतना हो मन को तो पहला नियम यह है कि लड़ना मत।

2. हम एक वृक्ष के पास खड़े हैं। उसमें कांटे लगे हैं और फूल लगा है तो लगा है। हम न तो यह कहते कि फूल अच्छा है, न यह कहते हैं कि कांटे बुरे हैं। 

3. साक्षी होना कोई कर्म नहीं, कृत्य नहीं और वह साक्षी हो जाना ध्यान है। साक्षी हो जाना ध्यान है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है।

4. घड़ी, दो घड़ी के लिये अपने को पूरा छोड़ो और जो हो रहा है, उसे पूरा स्वीकार कर लो। फिर कुछ होगा। वह कुछ होना ध्यान है।

5-जो रोगी है, अस्वस्थ है, बदसूरत है, प्रतिभाहीन है, जिसमें रचनाशीलता नहीं है, जो घटिया है, जो मूर्ख है, ऐसे सभी गुणों (दुर्गुणों से सम्पन्न) सभी लोग वर्चस्व स्थापित करने के मामले में काफी चालाक होते हैं। वे दूसरे लोगों और समाज पर हावी रहने के तरीके और जरिए खोज ही निकालते हैं। ऐसे लोग राजनेता बन जाते हैं या वे पुरोहित बन जाते हैं और चूँकि जो काम वे खुद नहीं कर सकते, उसे वे दूसरों को भी नहीं करने दे सकते। इसलिए वे दूसरे लोगों की हर तरह की खुशी के खिलाफ होते हैं।

6-सफल होता है आदमी, तो मौत बहुत दूर मालूम पड़ती है। असफल होता है आदमी, तो खयाल आने लगते हैं उदासी के, मरने का भाव होने लगता है।

7-हमारे सभी दु:खों के पीछे मृत्यु छिपी है। अगर आप खोज करेंगे, तो आप जिन बातों को भी दुख मानते हैं, उन सबके पीछे मृत्यु की छाया मिलगी।
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1-इस दुनिया में सच कहना दुश्मन बनाना है। इस दुनिया में किसी से भी सच कहना दुश्मन बनाना है। झूठ बड़ी मित्रताएं स्थापित करता है। कभी एक दफा देखें, चौबीस घण्टे तय कर लें कि सच ही बोलेंगे! आप पाएंगे सब मित्र विदा हो गए| चौबीस घंटा, इससे ज्यादा नहीं। पत्नी अपना सामान बांध रही है, लड़के-बच्चे कह रहे हैं : नमस्कार। मित्र कह रहे हैं कि तुम ऐसे आदमी थे! सारा जगत शत्रु हो जायेगा।-ओशो

2-ध्यान रहे, दुनिया में कोई आदमी आपको सन्देह में नहीं डाल सकता। सन्देह में डाल ही तब सकता है, जब सन्देह आपके भीतर भरा हो।-ओशो

3-अंधे लोग लड़ते हैं, उद्विग्न हो जाते हैं। वे आपका सिर तोड़ने को राजी हो जायेंगे, लेकिन आपकी बात सुनने को राजी नहीं होंगे।-ओशो

4-दर्शनशास्त्र खुजली की तरह है। खुजाने का मन होता है, इसकी बिना फिक्र किये कि परिणाम क्या होगा। खुजाते वक्त अचछा भी लगता है, लेकिन फिर लहू निकल आता है और पीड़ा होती है।-ओशो

5-प्रेम तो कला है, स्वयं को रूपान्तरित करने की। अगर एक को प्रेम किया, तो आप एक हो जायेंगे और या फिर अनंत को प्रेम करें, तो आप अनंत हो जायेंगे।-ओशो

6-सुख के क्षण में सुख क्षणभंगुर है, तत्क्षण दिखाई पड़ जाता है। सुख के क्षण में सुख जा चुका, यह अनुभव में आ जाता है। सुख के क्षण में दुख मौजूद हो जाता है।-ओशो

7-जीवन वही हो जाता है, जिस भाव को लेकर हम जीवन में प्रविष्ट होते हैं। जीवन वही हो जाता है, जो हम उसे बनाने को आतुर, उत्सुक और प्यासे होते हैं। जीवन मिलता नहीं, निर्मित करना होता है। जीवन बना-बनाया उपलब्ध नहीं होता, सर्जन करना होता है। जन्म के साथ मिलता है-अवसर, जीवन नहीं।-ओशो

8-मेरी मौलिक दृष्टि जगत को प्रेम से भरने की है। प्रेम मेरे लिये धर्म है। सार रूप में, निचोड़ रूप में धर्म-प्रेम है।-ओशो

9-धार्मिक व्यक्ति भय से प्रभावित नहीं होता, न लोभ से आन्दोलित होता है, क्योंकि धार्मिक व्यक्ति तो सत्य की तलाश में होता है।-ओशो

स्त्रोत : जयपुर, राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका " के 01.02.13 & 16.02.13 के अंक से साभार!

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