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स्वास्थ्य रक्षक सखा-Health Care Friend

Sunday 11 November 2012

हम सभी अजनबी हैं-कोई भी किसी को नहीं जानता! ओशो वाणी : नवम्बर, 2012

प्रेम तुम्हें रिक्त करता है-ईर्ष्या से रिक्त, पागलपन से रिक्त, क्रोध से रिक्त, प्रतिस्पर्धात्मकता से रिक्त, तुम्हारे अहंकार और उसके सारे कचरे से रिक्त करता है| लेकिन प्रेम तुम्हें कई बातों से भरता है, जिनके बारे में अभी तुम अनजान हो, यह तुम्हें खुश्बू से भरता है, प्रकाश से भरता है, आनन्द से भरता है|-ओशो|

अवसाद से कैसे बचें? अपने अवसाद को जगह मत बनाने दो| जिस क्षण तुम महसूस करो कि कुछ बात अवसाद बन रही है, दमन बन रही है, तत्काल स्वयं को गीत में, नृत्य में, हंसी में अभिव्यकत करो|-ओशो|

भोजन : जब स्त्री तुम्हें प्रेम करती है, तो वह तुम्हारे लिये बहुत सतर्कता से भोजन तैयार करेगी और उस भोजन में आध्यात्मिक गुणवत्ता होगी| वैज्ञानिक तौर पर इसमें फर्क करना सम्भव नहीं है कि भोजन प्रेम से बनाया गया है या बेरुखी से, लेकिन इसमें आध्यात्मिक रूप से भेद है| जो भोजन बेरुखी से बनाया जाता है, वह पचने में लम्बा समय लेता है और जो भोजन क्रोध, नफरत एवं ईर्ष्या से बनाया जाता है, वह पहले से ही जहर हो गया होता है|-ओशो|

क्रोधित-कामुक-गुलाम : जब कभी तुम क्रोधित होते हो, जब कभी तुम कामुक होते हो, तब तुम अपने मालिक नहीं रहे, बल्कि तुम अपने आपके गुलाम हो जाते हो|-ओशो

आत्मीयता : सभी आत्मीयता से डरते हैं| यह बात और है कि इस बारे में तुम सचेत हो या नहीं| आत्मीयता का मतलब होता है कि किसी अजनबी के सामने स्वयं को पूरी तरह से उघाड़ना| हम सभी अजनबी हैं-कोई भी किसी को नहीं जानता| हम स्वयं के प्रति भी अजनबी हैं, क्योंकि हम नहीं जानते कि हम हैं कौन!-ओशो।

स्त्रोत : जयपुर, राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका " के 16.11.12 के अंक से साभार!

Friday 2 November 2012

प्रेम इतना सुन्दर है कि कुरूप चीज भी इसके भीतर छिप सकती है! ओशो वाणी : अक्टूबर, 2012

जागा हुआ प्रेम ही प्रार्थना : सोये रहने वाले के लिये जिस प्रकार केवल सुबह हो जाने से ही कुछ नहीं होता| उसी प्रकार प्रेम हो जाने से ही कुछ नहीं होता| प्रेम हो-होकर भी लोग चूक जाते हैं| मन्दिर के द्वार तक आ-आकर लोग मुड़ जाते हैं, चूक जाते हैं| सीढियॉं चढ-चढकर लौट जाते हैं| प्रेम तो जीवन में बहुत बार घटता है, मगर बहुत थोड़े ही धन्यभागी होते हैं, जो जागते हैं| जो जाग जाते हैं, उनके प्रेम का नाम प्रार्थना है| जागे हुए प्रेम का नाम प्रार्थना है| जबकि सोई हुई प्रार्थना का नाम प्रेम है|-आशो|

तुम्हें एक बात हमेशा याद रखनी चाहिये कि जो लोग तुम्हारे साथ कार्य करते हैं, उन्हें तुम्हारे भीतर के जीवन से कुछ लेना-देना नहीं है| उससे निपटना तुम्हारा काम है; उनका अपना भीतर का जीवन है, जिसे उन्हें देखना है| उनके अपने नकारात्मक भाव हैं, उनकी अपनी व्यक्तिगत समस्याएं हैं| लेकिन जब तुम किसी के साथ कार्य कर रहे हो तो तुम्हें इसे बीच में नहीं लाना चाहिये, क्योंकि यदि वे अपनी सारी नकारात्मकता लाने लगे और तुम अपनी सारी नकारात्मकता लाने लगे, तो यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया हो जायेगी| तुम्हें बस जरा इसे देखने की जरूरत है|-ओशो|

जीवन तर्क नहीं है| जीवन प्रेम है| तर्क जटिल घटना है| प्रेम सरल है, प्रेम निर्दोष संवाद है| प्रेम जीवन के संगीत के अधिक करीब है, बजाय गणित के, क्योंकि गणित मन का है और जीवन तुम्हारें हृदय की धड़कनों में धड़कता है|-ओशो

वह सब जो तुम कर रहे हो, यदि उसमें प्रेम नहीं है तो सब झूठा और बकवास है| लेकिन वह सब जो प्रेममय है, वह सब सत्य है| प्रेम की राह पर तुम जो कुछ करते हो वह तुम्हारी चेतना को विकसित करता है| तुम्हें अधिक सत्य देता है और अधिक सत्य बनाता है| हर चीज प्रेम के पीछे छिपी हुई होती है, क्योंकि प्रेम हर चीज की सुरक्षा कर सकता है| प्रेम इतना सुन्दर है कि कुरूप चीज भी इसके भीतर छिप सकती है और सुन्दर होने का ढोंग कर सकती है|-आचार्य रजनीश ओशो|

स्त्रोत : जयपुर, राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका " के 01.10.12 के अंक से साभार!

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