देह का सम्मान करो-मैं चाहता हूं कि तुम इस सत्य को ठीक-ठीक अपने अंतस्तल की गहराई में उतार लो। देह का सम्मान करे, अपमान न करना। देह को गर्हित न कहना, निंदा न करना। देह तुम्हारा मंदिर है। मंदिर के भीतर देवता भी विराजमान है। मगर मंदिर के बिना देवता भी अधूरा होगा। दोनों साथ है, दोनों समवेत, एक स्वर में आबद्ध, एक लय में लीन। यह अपूर्व आनंद का अवसर है। इस अवसर को तूम खँड़ सत्यों में तोड़ो।-ओशो।
नमस्कार का अदभुत ढ़ंग, इस देश ने नमस्कार का एक अदभुत ढंग निकाला। दुनिया मैं वैसा कहीं भी नहीं है। इसे देश ने कुछ दान दिया है, मनुष्य की चेतना को, अपूर्व। यह देश अकेला है, जब दो व्यक्ति नमस्कार करते है, तो दो काम करते है। एक तो दोनों हाथ जोड़ते है। दो हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक। दो हाथ दुई के प्रतीक है, द्वैत के प्रतीक है। उन दोनों को हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक है। उस एक का ही स्मरण दिलाने के लिए। दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करते है। और, दोनों को जोड़कर जो शब्द उपयोग करते है। वह परमात्मा का स्मरण होता है। कहते है-राम-राम, जयराम, या कुछ भी, लेकिन वह परमात्मा का नाम होता है। दो को जोड़ा कि परमात्मा का नाम उठा। दुई गई कि परमात्मा आया। दो हाथ जुड़े और एक हुए कि फिर बचा क्या-हे राम।-ओशो
लोग व्यर्थ की चीजें बचाने में जीवन गंवा देते हैं और जीवन का असली मालिक मर ही जाता है, उसे बचा ही नहीं पाते।-ओशो
प्रेम को जानने का उपाय पत्थर को सुंदर मूर्ति में निर्मित कर लेना, प्रेम को जानने का एक उपाय है। साधारण शब्दों को जोड़ कर एक गीत रच लेना, प्रेम को जानने का एक उपाय है। नाचना, कि सितार बजाना, कि बांसुरी पर एक तान छेड़ना, ये सब प्रेम के ही रूप है।-ओशो
स्त्रोत : प्रेसपालिका (पाक्षिक) जयपुर, राजस्थान, से साभार!
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