धर्म के रास्ते : एक झूठे धर्म का रास्ता है, एक सच्चे धर्म का रास्ता है। सच्चे धर्म के रास्ते पर आदमी चला जाए तो उसका शोषण नहीं किया जा सकता। उसे झूठे धर्म के रास्ते पर ले जाओ, तो पंडे हैं, पुरोहित हैं, पुजारी हैं, मौलवी हैं, वे सब उसका शोषण कर सकते हैं।-ओशो
जो भी बनता है, मिटता है, वह ईश्वर नहीं है।-ओशो
पंडे, पुजारी, साधु और सन्यासी : आदमी को भटकाने वाले लोग उतने नास्तिक नहीं हैं, जितने कि पंडे हैं, पुजारी हैं, साधु हैं, सन्यासी हैं। जो शोषण करते हैं धर्म का। जो धर्म के नाम पर जीते हैं। जिन्होंने धर्म को आजीविका बना रखा है। जिन्होंने धर्म को धंधा बना रखा है। जो लोग भगवान को भी बेचते हैं और भगवान के बेचने पर जीते हैं। उन लोगों ने एक झूठा, एक सब्स्टीटयूट रिलीजन, एक परिपूरक धर्म बना रखा है। इसके पहले कि कोई आदमी भीतर जाए, वे उस झूठे रास्ते पर उसे लगा देते हैं। उस रास्ते पर करोड़ों-करोड़ों लोग चल रहे हैं-हिंदुओं के नाम से, मुसलमानों के नाम से, ईसाइयों के नाम से। और वे करोड़ों-करोड़ों लोग कहीं भी नहीं पहुंचते। बाहर भी कहीं नहीं पहुंचता आदमी और भीतर भी गलत रास्ते को पकड़ कर कहीं भी नहीं पहुंचता।-ओशो
भगवान : भगवान की कोई मूर्ति नहीं है और भगवान का कोई मंदिर नहीं है। और या फिर सभी मूर्तियां भगवान की हैं और सब कुछ भगवान का मंदिर है।
धर्म वह है जिससे हम बनते हैं और जिसमें हम लीन होते हैं। हम धर्म को नहीं बना सकते।-ओशो
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